मेरी दादी एक कहानी सुनाया करती थी, जो मैं आज आप लोगों को सुनना चाहती हूँ।
एक राजा अपनी सुंदर, बुद्धिमती पत्नी के साथ अपने राज्य पर शासन करता था। वो अपनी पत्नी को प्रतिदिन सुबह शाम सात छड़ी मारा करता था।
एक बार राजा की इच्छा हुई कि देश भ्रमण पर निकला जाए। अपनी पत्नी को राज्य का कार्यभार सौंप कर वो निकाल पड़ा। कई दिनों तक तो रानी को उसके समाचार प्राप्त होते रहे पर उसके बाद बंद हो गए। रानी कई महीनों की चिंता के बाद मंत्री को कार्यभार सौंप कर राजा की खोज में निकाल पड़ी। उसने सभासदों को आश्वासन दिया कि वो राजा को ले कर ही लौटेगी; उसे पूर्ण विश्वास था कि राजा जिस भी मुसीबत में होगा वो उसे निकाल लाएगी।
घूमते घूमते रानी एक ऐसे राज्य में पहुंची जहां पहली बार आए यात्रियों को एक परीक्षा देनी पड़ती थी। जो उस परीक्षा में उत्तीर्ण होता था उसे ही आगे जाने की अनुमति थी, अन्यथा उसे कारागार में डाल दिया जाता था। रात भर विश्राम करने के बाद रानी परीक्षा के लिए पहुंची। उसके एक पैर को घुटने तक कीचड़ में डुबा दिया गया और कि एक दीया भर पानी से साफ करने को कहा गया। रानी काफ़ी देर तक सोचती रही, क्योंकि उतने गंदे पैर को उतने से पानी से साफ करना असंभव था।
बहुत सोच विचार के बाद रानी कड़ी धूप में बैठ कर पैर को सुखाने लगी। जब पैर पूरी तरह से सूख गया तो एक छुरी से उसने सारी मिट्टी को खुरच डाला और साड़ी के कोने को पानी में भिगो कर उसे पोंछ दिया। कार्य समाप्त कर रानी सैनिक के साथ उस राज्य के राजा के पास पहुंची। वो राजा उसकी बुद्धिमानी से बहुत प्रसन्न हुआ। रानी ने उससे विनती की कि यदि वो वास्तव में प्रसन्न है तो कारगर में बंद सभी यात्रियों को छोड़ दे। राजा ने उसकी बात मान ली।
छूटे हुए कैदियों में अपने पति को देख रानी बहुत प्रसन्न हुई और उसे साथ ले कर अपने राज्य वापस आ गयी। वहाँ पहुँच कर राजा ने रानी से कहा,
“तुम्हारी वजह से मेरे प्राणों की रक्षा हुई है। अतः तुम जो चाहती हो वो मांगो।”
रानी ने नम्र निवेदन किया कि यदि वो वास्तव में ही कुछ देना चाहते है तो उसे सुबह शाम सात छड़ी मारना छोड़ दें। राजा उसकी बात को मान गया और वे दोनों प्रसन्नतापूर्वक रहने लगे।
बचपन में यह कहानी सुन कर मेरे मन में तीन बातें आती थी:
- राजा रानी को अकारण सात छड़ी मारता क्यों था?
- रानी प्रतिकार क्यों नहीं करती थी?
- रानी को इस बात से कितनी तकलीफ थी कि उसने इतना बड़ा काम करने पर ये इनाम मांगा। इसका अर्थ ये था कि उस आदत को छुड़ाने का रानी के पास कोई और तरीका नहीं था।
हर व्यक्ति में एक “सात छड़ी” वाली कमी होती हो जो उसके आस पास के लोगों को गहरा कष्ट देती है। या, दूसरे पहलू से देखें तो आपके इर्द-गिर्द जितने भी लोग हैं सबकी कोई “सात छड़ी” आदत है जो आपको गहरी पीड़ा देती है। आप उस रिश्ते, चाहे वो मित्रता का हो या पति-पत्नी का या भाई-बहन या कुछ और, से तभी पूर्ण सुख या प्रसन्नता पा सकते हैं जब वो सात छड़ी खत्म हो जाये।
पर क्या ये सदा हमारे बस में होता है? शायद नहीं। हम बस सात छड़ी को दूर करने की कोशिश में लगे रहते हैं और इसी में ज़िंदगी बीत जाती है। और फिर शायद इसी का नाम ज़िंदगी है भी। हम इंसान भी तो लोभी हैं न, एक सात छड़ी गयी नहीं कि अगली दिखाई देने लगती है!!!
शायद हम सबको अपनी सात छड़ी का ज्ञान होना चाहिए। और हमें खुद भी उससे छुटकारा पाने की कोशिश करनी चाहिए।
आपकी सात छड़ी क्या है, बताइएगा ज़रूर।